×

Digital Hindi Kavyalaya's video: Video 5- Haldighati Part 5 - Shyamnarayan Pandey

@Video 5- Haldighati(Part 5) - Shyamnarayan Pandey | |महाराणा प्रताप और हल्दीघाटी, अद्भुत कविता
Video 5- Haldighati(Part 5) - Shyamnarayan Pandey | हल्दीघाटी का युद्ध |Maharana Pratap खंड ५ मानसिंह का मुग़ल राजमहल में सम्मान मेवाड़ राजमहल में अपमान Follow us on Facebook : https://www.facebook.com/Digitalhindikavyalay/ Instagram : https://www.instagram.com/digitalhindi/ Blog : https://digitalhindi.in/ Twiter : https://twitter.com/hindikavyalaya Playlists Poems by Gopal Das Neeraj https://www.youtube.com/playlist?list=PLzvuJBYrvbW8iNWnWKqvCu1YsdBYO8DKc Poems by Ramdhari Singh DInkar https://www.youtube.com/playlist?list=PLzvuJBYrvbW98qXSoBB2H_YzOAQ5N4rmV Bal Kavita https://www.youtube.com/playlist?list=PLzvuJBYrvbW984V2N1TWnxco8OMR-uKGb Rashmirathi – Ramdhari Singh Dinkar https://www.youtube.com/playlist?list=PLzvuJBYrvbW9rbKwIzZC3Ov0W1VjrOAiX Best Hindi Poems Aarambh hai prachand - Piyush Mishra | By Preeti Jog https://youtu.be/z6DboPFCxKY Priyatam - Suryakant Tripathi Nirala | By Preeti Jog https://youtu.be/Gq_ZXxc-J-I Gao - Devesh Dubey | By - Preeti Jog https://youtu.be/d4mQyyQOXoU Jo Jeevan Ki DHul chant kar bada hua hai - Kedarnath Agrawal, By Preeti Jog https://youtu.be/PgCM20rJckQ Bharat Bharti - Maithilisharan Gupta (Introduction) By - Preeti Jog https://youtu.be/SsTrJreK04s Ab to path yahi hai - Dushyant Kumar | Jindagi ne kar liya swikar https://youtu.be/XdQC3j3AfvM om mantra kavita - Baba Nagarjun | Aawaz - Preeti Jog https://youtu.be/P4ud817XW4s महाराणा प्रताप का नाम भारत के सबसे वीर योद्धाओं में आता है. राजस्थान ही नहीं पूरे भारत में उनके युद्ध कौशल और शक्ति का कोई सानी नहीं था. बचपन से ही प्रताप बहुत बहादुर थे. राणा प्रताप शुरू से ही जनता के शासक थे. उनके लिए अपने राज्य और अपनी प्रजा से बढ़कर कुछ नहीं था. अकबर के समय के राजपूत नरेशों में मेवाड़ के महाराणा प्रताप ही ऐसे थे, जिन्हें मुग़ल बादशाह की मैत्रीपूर्ण दासता पसन्द न थी। इसी बात पर उनकी आमेर के मानसिंह से भी अनबन हो गई थी. जब बादशाह अकबर ने प्रताप को मेवाड़ मुग़ल सल्तनत में मिलाने को कहा तो महाराणा प्रताप ने समझौता नहीं युद्ध करना स्वीकार किया. हल्दीघाटी का युद्ध (18 जून, 1576 ई.) हल्दीघाटी भारतीय इतिहास में प्रसिद्ध राजस्थान का वह ऐतिहासिक स्थान है, jo उदयपुर ज़िले से 27 मील उत्तर-पश्चिम में स्थित है। इस स्थान को 'गोगंदा' भी कहा जाता है। यहीं सम्राट अकबर की मुग़ल सेना एवं महाराणा प्रताप तथा उनकी राजपूत सेना में 18 जून, 1576 को भीषण युद्ध हुआ। इस युद्ध में राणा प्रताप का साथ स्थानीय भीलों ने दिया, जो इस युद्ध की मुख्य बात थी। मुग़लों की ओर से राजा मानसिंह सेना का नेतृत्व कर रहे थे। हल्दीघाटी का युद्ध शुरू हुआ और लगातार चलता रहा. दोनों ही पक्षों को जान माल का बहुत नुक्सान हो रहा था. प्रताप ने तो जैसे हार ना मानने की ठान रखी थी. इतना खून बहा की उस स्थान का नाम ही रक्त तलाई पड़ गया. इस युद्ध में प्रताप की 22 सहस्त्र सेना में से 14 सहस्त्र काम आई थी। इसमें से 500 वीर सैनिक राणा प्रताप के सम्बंधी थे। मुग़ल सेना की भारी क्षति हुई तथा उसके भी लगभग 500 सरदार मारे गये थे। सलीम के साथ जो सेना आयी थी, उसके अलावा एक सेना वक्त पर सहायता के लिये सुरक्षित रखी गई थी। और इस सेना द्वारा मुख्य सेना की हानिपूर्ति बराबर होती रही। इसी कारण मुग़लों के हताहतों की ठीक-ठीक संख्या इतिहासकारों ने नहीं लिखी है। स्वयं प्रताप के दुर्घर्ष भाले से गजासीन सलीम बाल-बाल बच गया। अकबर के हाथियों का मुकाबला महाराणा प्रताप के घोड़ों ने किया. अकबर का सेनापति मानसिंह हाथी पर स्वर होकर युद्ध कर रहा था. अपने विश्वासपात्र घोड़े चेतक पर सवार होकर मानसिंह से भिड गए थे. मानसिंह के महावत को मारने के बाद तलवार के वार से चेतक का भी पैर घायल हो गया. स्थति को भांपते हुए प्रताप अपने घायल, किन्तु बहादुर घोड़े पर युद्ध-क्षेत्र से बाहर आ गये, जहां चेतक ने प्राण छोड़ दिये। इस स्थान पर इस स्वामिभक्त घोड़े की समाधि आज भी देखी जा सकती है। महाराणा प्रताप को युद्ध क्षेत्र से बाहर निकालने में झाला मानसिंह का भी बहुत बड़ा योगदान था जिन्होंने अपनी जान देकर भी मेवाड़ की आन बान और शान, और महाराणा प्रताप की रक्षा की थी. 'हल्दीघाटी का युद्ध अनिर्णायक रहा। इसमें राणा प्रताप ने अप्रतिम वीरता दिखाई। खुला युद्ध समाप्त हो गया था, किंतु संघर्ष समाप्त नहीं हुआ था। भविष्य में संघर्षो को अंजाम देने के लिए राणा प्रताप एवं उनकी सेना युद्ध स्थल से हटकर पहाड़ी प्रदेश में आ गयी थी। इन दिनों महाराणा प्रताप ने बड़ा कठिन समय बिताया। shaktisangran kar प्रताप ने अपने स्थानों पर फिर अधिकार कर लिया था। महाराणा प्रताप के जीते जी अकबर कभी उनका राज्य नहीं हथिया सका - ये था हल्दीघाटी का युद्ध. अकबर की अधीनता स्वीकार न किए जाने के कारण प्रताप के साहस एवं शौर्य की गाथाएँ तब तक गुंजित रहेंगी, जब तक युद्धों का वर्णन किया जाता रहेगा।

37

9
Digital Hindi Kavyalaya
Subscribers
7.3K
Total Post
327
Total Views
39.9K
Avg. Views
675.9
View Profile
This video was published on 2019-06-25 19:58:47 GMT by @Digital-Hindi-Kavyalaya on Youtube. Digital Hindi Kavyalaya has total 7.3K subscribers on Youtube and has a total of 327 video.This video has received 37 Likes which are higher than the average likes that Digital Hindi Kavyalaya gets . @Digital-Hindi-Kavyalaya receives an average views of 675.9 per video on Youtube.This video has received 9 comments which are higher than the average comments that Digital Hindi Kavyalaya gets . Overall the views for this video was lower than the average for the profile.

Other post by @Digital Hindi Kavyalaya