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Krunal Solanki's video: 1920 Influenza in France Dr Mehulbhai Acharya

@1920 की महामारी से फ्रांस मूक्त हुआ इस आयुर्वेद औषध से | Influenza in France | Dr Mehulbhai Acharya
संक्रामक रोगों में विभिन्न लक्षण एवं प्रभाव होते हैं खासकर के निमोनिया और इनफ्लुएंजामें! ऐसी स्थिति में खून में रोग विनाशक शक्ति कम हो जाती है। खून में रक्त जल(प्लाज्मा) होता है और उसमें लवण क्षार सोडियम क्लोराइड होता है। यह कम हो जाए तब खून में रहने वाली रोगबीज नाशक शक्ति कम होती है ऐसा डॉक्टर कुन्हे ने शोध करके बताया है। उसको बढ़ाने के लिए विदेश के डॉक्टर कैलशियम सल्फेट - अमोनिया सल्फेट इत्यादि का उपयोग करते हैं किंतु उसके दुष्प्रभाव होते हैं। डॉ कुन्हे के मत से सबसे निर्दोष हमारा नमक है। उसमें काला नमक सेंधा नमक इत्यादि विभिन्न प्रकार के नमक का संयोजन किया जाए तो उत्तम परिणाम प्राप्त होता है। सभी नमक का प्रभाव खूनमे रहने वाले लवण क्षार को बढ़ाता है और लवण क्षार बढ़ने से रोगप्रतिकार शक्ति बढ़ती है और महामारी के रोगों में लाभदायी होती है। विभिन्न नमक का संयोजन करके प्रख्यात रसायन शास्त्री डॉ डी. के. गज्जर ( मुंबई) ने १९१८ में दवाई बनाई जो इन्फ्लूएंजा पर बहुत ही कामयाब हुई थी उस दवाई का नाम Tiro Chloride था। उस दवाई पर पेटेंट करवा कर उन्होंने एक कंपनी को बेच दिया था और वह दवा संजीवनी के रूप में कार्य करती थी। नमक के चमत्कार के विषय में 1917 का जो पैंडेमिक हुआ था उसमें नमक के प्रयोग से अनेक रोगियों को आशातीत लाभ प्राप्त हुआ था। 1918 से 1920 को महामारी हुई तब इन्फ्लूएंजा नाम का रोग फैला था। पूरे फ्रांस में तब दुश्मन देशों ने फ्रांस के सैनिक पर हमला करते हुए वातावरण में क्लोरिन नाम की गैस छोड़ी थी। यह गैस ज्यादा प्रमाण में जहां पर गई वहां सभी सोल्जर मर गए किंतु आश्चर्य हुआ कि जिस जगह पर थोड़ी गैस गई थी वहां पर उल्टा अच्छा प्रभाव पडा। फ्रांस में इन्फ्लूएंजा से संक्रमित जो सैनिक थे वे इस गैस से रोगमुक्त हो गए। जिस को सर्दी-खांसी या बुखार था वह भी नष्ट हो गया था। एक योगी ने इसको नमक से निकलने वाली क्लोरीन का असर बताया। यही गैस ज्यादा मात्रा में मारती है और कम मात्रा में कई रोगों से मुक्त भी करती है। बाद में फ्रांस में सैनिको के लिए एक चेंबर बनाकर उस में क्लोरीन गैस कम प्रमाण में प्रवाहित की और परिणाम स्वरूप सैनिक ठीक हो गए। फ्रांस में धीरे-धीरे इसके अनेक प्रयोग हुए और पूरा फ्रांस यह छोटी सी दवाई से इन्फ्लूएंजा से मुक्त हो गया। यह अद्भुत संजीवनी कोई वैज्ञानिक ने नहीं निकाली किंतु कुदरत ने इसको एक योगी के माध्यम से सुझाया। आर्युवेद के ऋषियों को इस गैस के बारे में पूरी जानकारी थी क्युकी आर्युवेद की रसोषधि मृगांक रस नमक के पानी को गर्म करके बनाई जाती है। जो श्वास एवं इन्फ्लूएंजा पर काम आती है। उस समय लाखों लोग इससे बच गए। कुदरत ने फिर एकबार दिखाया की मारने वाले से बचाने वाला बड़ा है। अनायास मिली इस औषधि से फ्रांस को इन्फ्लूएंजा से मुक्त कर दिया इस घटना का वर्णन पूज्य गुरुवर्य विश्वनाथ जी जो संस्कृति आर्य गुरुकुलम्‌ के संस्थापक थे, उनके मुख से सुनकर दिल गदगद हो गया। ऋषि मुनियों ने इसको लावण गैस का नाम देकर विभिन्न ग्रंथों में बताया है। नमक से निकलने वाली यह गैस से बहुत फायदा होता है खास करके इसका धूप लिया जाए तो गले में रहने वाले जंतु मर जाते है और टीबी, फ्लू, बुखार, मलेरिया जैसे अनेक रोगों में लाभ मिलता है। सेंधा नमक, काला नमक एवं अन्य नमक का यह प्रभाव है। रोज इस नमक को १० ग्राम ले कर १ लीटर पानी में डालकर दिन में तीन बार पी सकते है, सभी नमक का उपयोग करके अर्क पद्धति से लवण द्रव मंत्रौषधि संजीवनी ड्रॉप्स बनाया गया है उसका उपयोग भी इम्यूनिटी के लिए तथा विभिन्न रोगों में किया जाता है। इससे अनेक रोगों पर सकारात्मक परिणाम मिले है। इसी प्रकार मंत्रौषधि ऑक्सी सिरप का भी अच्छा उपयोग है, ज्यादा जानकारी के लिए https://www.sanskrutigurukulam.com/ जाए।

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Krunal Solanki
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This video was published on 2021-05-04 20:30:25 GMT by @Krunal-Solanki on Youtube. Krunal Solanki has total 22.4K subscribers on Youtube and has a total of 40 video.This video has received 6 Likes which are lower than the average likes that Krunal Solanki gets . @Krunal-Solanki receives an average views of 10.4K per video on Youtube.This video has received 1 comments which are lower than the average comments that Krunal Solanki gets . Overall the views for this video was lower than the average for the profile.

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