Ravi Talwar's video: 140 Veer Savarkar Ji s 140th Jayanti May 28 2023 status video
@वीर सावरकर जी की 140वीं जयंती २८ मई २०२३ Veer Savarkar Ji’s 140th Jayanti May 28, 2023 #status_video
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28 मई 2023 को विनायक दामोदर सावरकर जी की 140वीं जयंती मनाई जा रही है, उनका जन्म इसी दिन वर्ष 1883 में नासिक, महाराष्ट्र में हुआ था। वे भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी, क्रांतिकारी, राजनेता, लेखक, वकील एवं हिंदुत्व दर्शन शास्त्री के प्रतिपादक थे। हिन्दू राष्ट्र की राजनीतिक विचारधारा को विकसित करने का बहुत बड़ा श्रेय स्वातंत्र्यवीर विनायक दामोदर सावरकर को जाता है। उनकी इस विचारधारा के कारण आजादी के बाद की सरकारों ने उन्हें वह महत्त्व नहीं दिया जिसके वे वास्तविक हकदार थे।
साल 1936 जब एक ब्यान के चलते कांग्रेस पार्टी में उनका विरोध हुआ तो मशहूर पत्रकार, शिक्षाविद, कवि और नाटककार पीके अत्रे ने पुणे में एक स्वागत कार्यक्रम (जिसमें हजारों लोग जुटे थे) के दौरान सावरकर को ‘स्वातंत्र्यवीर’ की उपाधि दी, जो बाद में केवल सिर्फ ‘वीर’ हो गयी और उनके नाम के साथ सदा-सदा के लिए जुड़ गयी।
कांग्रेसी कार्यकर्ताओं द्वारा Savarkar का विरोध और उन्हें काले झंडे दिखाने की धमकी पर पीके अत्रे ने सावरकर को निडर बताते हुए कहा था कि जो काला पानी की सजा से नहीं डरा वो इन काले झंडों से क्या डरेगा, और इस तरह से उन्हें यह उपाधि (Title) मिली।
हिंदू शब्द से बेहद लगाव रखने वाले विनायक दामोदर सावरकर 20वीं शताब्दी के सबसे बड़े हिन्दूवादी थे, उन्होंने अपने पूरे जीवनकाल में हिंदुओं, हिन्दी और हिंदुस्तान के लिए ही काम किया।
काला पानी की सज़ा काटकर आने के बाद उन्होंने हिंदुत्व – हू इज हिन्दू (Hindutva – Who is Hindu) नामक एक किताब लिखी, जिसमें उन्होंने पहली बार हिंदुत्व को एक राजनीतिक विचारधारा के तौर पर इस्तेमाल किया।
वीर सावरकर के हिंदुओ के प्रति इस लगाव को देखते हुए उन्हे 6 बार अखिल भारतीय हिंदू महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप मे चुना गया। 1937 में उन्हें हिंदू महासभा का अध्यक्ष चुना गया, और बाद में 1938 में हिंदू महासभा को राजनीतिक दल घोषित कर दिया गया।
हिंदुत्व शब्द किसने गढ़ा? हिंदुत्व (“Hinduness”) भारत में हिंदू राष्ट्रवाद का प्रमुख रूप है। इस शब्द को 1923 में वीर सावरकर ने ही लोकप्रिय बनाया।
सावरकर जी की मौत 26 फ़रवरी 1966 को उपवास (Starvation) रखने से हुई, उन्होंने अपना जीवन समाप्त करने के लिए इच्छा मृत्यु को चुना था।
1 फरवरी 1966 से ही वे उन सभी चीजों का त्याग कर चुके थे जो उन्हें जिंदा रख सकती थीं इसमें दवाइयां, खाना और पानी जैसी सभी चीजें शामिल थी।
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