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@चंद्रयान से संपर्क हुआ ? चंद्रयान के बारेमे ये नहीं पता तो आपको कुछ नहीं पता
अमेरिका ,रूस,जापान इस्राइल ,चीन अदि देशोंने कुल मिलाकर १०९ बार चाँद पर अपना झंडा लहराने  की कोशिश की जिसमे ६१ बार सफलता मिली पर ४८ बार कड़ी हार का सामना भी करना पड़ा १९५८ से अमरीका ने १४ बार , रूस ने ७ बार चाँद पर उतरने की कोशिश की पर १९६६ में उन्हें सफलता हासिल हुई जबकि  भारत ने पहले ही प्रयास में चाँद के सतह से २ किलोमीटर तक  की दुरी तय की दुनिया के विभिन्न देशो ने इन लुनार  मिशन्स पर  अनगिनत डॉलर खर्च किये होंगे जहाँ अमरीका का एक लुनार  मिशन औसतन  ४ से ६ बिलियन डॉलर यानि ३० ००० से ४०००० करोड़ और रूस का एक लूनर मिशन २५०० करोड़ से लेकर ७००० करोड़  के लागत  से होता था वही भारत के इसरो ने मात्र ९७८ करोड़ में चंद्रयान   २ को चाँद की सतह से २ किलोमीटर तक पहुंचा दिया चंद्रयान २ की स्पीड चाँद पर उतरते समय तक़रीबन ५० मीटर  प्रति सेकेंड थी जो थोड़ी ज्यादा थी ऐसा इसरो का कहना है. हो सकता है उसीके चलते चंद्रयान २ चाँद की सतह से जरा जोर से टकराया हो और यही वजह हो के इसरो का संपर्क टूट गया। चंद्रयान -2 का  प्राथमिक उद्देश्य चंद्र की  सतह पर आसानी से उतरने की क्षमता का प्रदर्शन करना था और सतह पर एक रोबोट रोवर जिसका नाम प्रज्ञान है उसे  संचालित करना था । प्रज्ञान रोवर को   चंद्र की सतह का नक्शा बनाना, चंद्र  पर खनिज की खोज करना ,  चंद्र पर पानी की खोज करना ये सब मुख्य काम करने थे, लेकिन    अब शायद ही ये मुमकिन हो। हालांकि  चद्रयान २ का  एक और हिस्सा ऑर्बिटर जो चंद्र के चक्क्रर लगा रहा है। वो चंद्र की सतह की  मैपिंग  करेगा और इसके जरिये 3 डी मैप तैयार करने में मदद करेगा। भारत के  इतिहास  में शायद पहली बार बिना ये सोचे के ये मिशन सफल होगा या नहीं ,पूरा कार्यक्रम टीवी पर लाइव किया गया ,जो अपने आप में एक बड़ी रिस्क थी . लेकिन  भारत की जनता का  जोश  उत्साह और इसरो के प्रति प्रेम और भरोसे  ने इस अद्वितीय क्षण की एक मिसाल कायम कर  दी. भारत के पंतप्रधान श्री नरेंद्र मोदी विशेष रूप से इसरो के मुख्यालय में मौजूद थे और सबका ढाढ़स बंधा रहे थे। सभी भारतवासियो की शुभकामनाये इसरो के  साथ है और सभी  कामना कर  रहे है के चंद्रयान ३ जल्द ही चाँद की साथ पर भारत का झंडा लहराए। सबसे बड़ी बात ये थी के प्रज्ञान रोवर के जो रबड़ के पहिये थे ,उसमे अशोक स्तम्भ का डिजाइन अंकित था , रोवर जैसेही चाँद पर आगे बढ़ता ,रोवर के पहियों से चाँद की सतह पर अशोक चक्र अंकित होता चला जाता। और इस तरह से चाँद के साउथ पोल पर पहली बार भारत के नाम की मुहर लग जाती  खबरों के अनुसार विक्रम लैंडर को ऑर्बिटर ने ढूंढ  लिया है। और उसकी कुछ तस्वीरें भेजी है। साथ में ये भी पता चला है के विक्रम के पेट में स्थित प्रज्ञान भी अभी सुरक्षित है और जल्द ही इसरो उनसे संपर्क स्थापित करेगा

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This video was published on 2019-09-11 20:58:44 GMT by @TIME on Youtube. TIME has total 29.3K subscribers on Youtube and has a total of 81 video.This video has received 7 Likes which are lower than the average likes that TIME gets . @TIME receives an average views of 158K per video on Youtube.This video has received 0 comments which are lower than the average comments that TIME gets . Overall the views for this video was lower than the average for the profile.

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