Uma Series's video: LIVE : Rudri Path Shukla Yajurvediya Rudrashtadhyayi
@LIVE : Rudri Path | Shukla Yajurvediya Rudrashtadhyayi | मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाला रुद्री पाठ।
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वेद शिव के ही अंश है वेद: शिव: शिवो वेद:। अर्थात् वेद ही शिव है तथा शिव ही वेद हैं,
वेद का प्रादुर्भाव शिव से ही हुआ है। वेदों को ही सर्वोत्तम ग्रंथ बताया गया है
और रुद्राष्टाध्यायी यजुर्वेद का अंग है । अतः इसे शुक्लयजुर्वेदीय रुद्राष्टाध्यायी भी कहते हैं।
रुद्राष्टाध्यायी अत्यंत ही मूल्यवान है, न ही इससे बिना रुद्राभिषेक ही संभव है
और न ही इसके बिना शिव पूजन ही किया जा सकता है।
जो भी व्यक्ति रुद्राभिषेक मंत्र का जाप करता है उस व्यक्ति का कालसर्प योग से छुटकारा मिल जाता है।
अगर आपके घर में गृह क्लेश चल रहा है तो आप अपने घर में रुद्राभिषेक कराएं रुद्राभिषेक कराने से अत्यंत लाभ प्राप्त होता है।
अगर आप एक गहरी बीमारी से जूझ रहे हैं तो आपको उषा के माध्यम से रुद्राभिषेक मंत्र का जाप कर आना चाहिए और शिव भगवान की पूजा करनी चाहिए।
अगर आप अपने घर में रुद्राभिषेक मंत्र का जाप करवा रहे हैं तो रुद्राभिषेक करते समय गन्ने के रस से भगवान शिव का रुद्राभिषेक करें इससे आपको धन प्राप्ति होती है।
अगर कोई व्यक्ति दुग्ध श्री भगवान शिव का रुद्राभिषेक करता है तो उसे संतान सुख की प्राप्ति होती है।
ऐसा कहा जाता है कि जो भी व्यक्ति रुद्राभिषेक मंत्र का जाप करते हुए सरसों के तेल से रुद्राभिषेक करता है उस व्यक्ति की नौकरी आसानी से लग जाती है और वह हर प्रकार की समस्याओं से छुटकारा पा जाता है।
अगर किसी व्यक्ति को लंबे समय से ज्वार की समस्या चल रही है तो वह व्यक्ति अगर ज्वार की समस्या से छुटकारा पाना चाहता है तो ज्वार शांत करने के लिए गंगाजल से अभिषेक करें तथा रुद्राभिषेक मंत्र का जाप करें।
अगर भवन तथा वाहन की प्राप्ति करना चाहते हैं तो आपको रुद्राभिषेक मंत्र का जाप करना होगा और उसके साथ साथ दही से भगवान शिव का रुद्राभिषेक करना होगा।
रुद्राष्टाध्यायी दो शब्द रुद्र अर्थात् शिव और अष्टाध्यायी अर्थात् आठ अध्यायों वाला,
इन आठ अध्यायों में शिव समाए हैं। इसमें मुख्यत: आठ अध्याय हैं
पर अंतिम में शान्त्यध्याय: नामक(२४ श्लोक) नवम तथा स्वस्तिप्रार्थनामन्त्राध्याय: नामक
(१३ श्लोक) दशम अध्याय भी हैं।
इसके प्रथम अध्याय में कुल १० श्लोक है
तथा सर्वप्रथम गणेशावाहन मंत्र है,
प्रथम अध्याय में शिवसंकल्पसुक्त है।
द्वितीय अध्याय में कुल २२ श्लोक हैं
जिनमें पुरुसुक्त (मुख्यत: १६ श्लोक) है।
इसी प्रकार तृतीय अध्याय में कुल १७ श्लोक हैं
जिनमें आदित्य सुक्त तथा चतुर्थ अध्याय में कुल १७ श्लोक हैं
जिनमें वज्र सुक्त सम्मिलित हैं। पंचम अध्याय में परम लाभदायक रुद्रसुक्त है,
इसमें कुल ६६ श्लोक हैं। छठें अध्याय में कुल ८ श्लोक हैं जिनमें पंचम श्लोक के रूप में महान महामृत्युंजय श्लोक
है। सप्तम अध्याय में ७ श्लोकों की अरण्यक श्रुति है प्रायश्चित्त हवन आदि में इसका उपयोग होता है।
अष्टम अध्याय को नमक-चमक भी कहते हैं जिसमें २४ श्लोक हैं।
Uma Series चैनल सनातन धर्म के अनुसार वेद शास्त्र पुराण इत्यादि में वर्णित स्तोत्र,मन्त्र,स्तुति,श्लोक,आदि को विद्वान पंडितों एअव्म शत्रग्यों द्वारा आप सभी तक पहुचने का प्रयास करता है | जिससे की आम जन मानस के जीवन आने वाली दैहिक दैविक भौतिक परेशानियों का निवारण हो सके | अतः आप सभी सनातन प्रेमियों से निवेदन है कि Uma Seriesचैनल को सब्स्क्राइब अवश्य करें जिससे की सभी विडियो आप तक आसानी से पहिंच सकें | सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चित् दुःखभाग् भवेत्।।
सभी सुखी होवें, सभी रोगमुक्त रहें, सभी मंगलमय के साक्षी बनें और किसी को भी दुःख का भागी न बनना पड़े।
इन्हीं मंगलकामनओं के साथ आपका दिन मंगलमय हो
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